Gram Panchayat Haminpur Pilani Jhunjhunu

Haminpur

Gram Panchayat

Piplantri Village

राजसमंद जिले में लगभग साढ़े छह हजार की आबादी की इस ग्राम पंचायत की कामयाबी की कहानी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गर्व के साथ सुनाई जाती है।

गांव में एकता की मिसाल का यह आलम है कि आज इस गांव में हर हाथ को काम है ।

पिपलांत्री ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे मॉडल बनाने में किसी सरकार या एजेंसी का हाथ नहीं बल्कि यहां के ग्रामीणों का है।

राजसमंद शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर बसा पिपलांत्री गांव देश ही नहीं दुनिया के लिए एक निर्मल ग्राम, स्वजल ग्राम, आदर्श ग्राम और अब पर्यटक ग्राम बन गया है।

पिपलांत्री गांव में हरियाली इतनी कि आसमान से इसरो की टीम को यह इलाका अलग ही नजर आया था। पानी भी लोगों की पहुंच में है। सबसे बड़ी बात ही हर दिन यहां भारत के किसी न किसी कोने से कोई पर्टयक, शोधकर्ता, ग्रामीण चला आता है। इतना ही नहीं कई विदेशी भी यहां डेरा डाले नजर आते हैं।

लेकिन पिपलांत्री की तस्वीर हमेशा से ऐसी नहीं थी। राजस्थान के हजारों गांवों की तरह यहां भी हालात बदतर थे। ये इलाका पूरी दुनिया में संगमरमर के लिए जाना जाता है। हाईवे के दोनों तरफ संगमरमर के बड़े-बड़े शोरुम हैं तो खदानों से आते पत्थरों से भरे ट्रक आपको 24 घंटे नजर आएंगे।

आपके किचन और ऑफिस दफ्तर में संभव है राजसमंद के संगमरमर का कोई टुकड़ा जरुर लगा हो, लेकिन यही खनन इन गांवों के लिए मुसीबत बनता जा रहा था।

इस गांव की कामयाबी की कहानी शुरू होती है वर्ष 2005 से। उस साल पंचायती चुनाव में गांव के ही उर्जावाना व्यक्ति श्याम सुंदर पालीवाल गांव के सरपंच चुने गए। उस समय पानी की समस्या से जूझ रहे इस गांव में हर कदम पर समस्याएं मुंह फैलाएं खड़ीं थीं। बेरोजगार नौजवानों का भटकाव हो रहा था। ऊंची-नीची पहाड़ी पर बसे इस गांव में सिंचाई के साधन नहीं होने से खेत बंजर हो रहे थे। बच्चों की शिक्षा का कोई माकूल इंतजाम नहीं था।

श्याम सुंदर पालीवाल ने स्वच्छता को लेकर काम शुरू किया और खुद ही झाड़ू लेकर सफाई करनी शुरू की। उनकी देखादेखी गांव के अन्य लोग भी साफ-सफाई में आगे आने लगे और गांव में इतनी साफ-सफाई रहने लगी कि 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति ने पिपलांत्री को स्वच्छ ग्राम पंचायत के पुरस्कार से सम्मानित किया.

पिपलांत्री में अब तक करीब 4 लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं। जो पानी कभी 500 फीट पर पहुंच गया था वो 70–80 फीट पर आ गया है। हरियाली बढ़ने से पक्षी लौट आए हैं। इसके लिए गांव में छोटे-मोटे करीब सैकड़ों बांध बनाए गए हैं। ताकि बारिश के पानी को जहां-तहां रोककर ग्राउंट वाटर को रिचार्ज किया जा सके।

श्यामसुंदर पालीवाल अब सरपंच नहीं है। लेकिन भारत के कई राज्यों के ग्राम प्रधान और सरपंच उनसे सीखने आते हैं कि कैसे अपने बल पर अपने गांव का विकास किया जाए। कैसे सरकारी संसाधनों का उपयोग समाज की बेहतरी के लिए किया जाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत, अभिनेता अक्षय कुमार समेत कई बड़े लोग पिपलांत्री और श्याम सुंदर पालीवाल की सराहना कर चुके हैं। जल, जमीन और जंगल और बेटियां बचाने के लिए उन्हें कई सम्मान भी मिल चुके हैं।

यहां की खूबियां आप गिनते रह जाएंगे। श्याम सुंदर पालीवाल पिछले दिनों कौन बनेगा करोड़पति के शो में भी नजर आए थे, अभिताभ बच्चन ने उनके प्रयासों की काफी सराहना की थी |

भारत की एक बहुत बड़ी आबादी गांव छोड़कर शहरों में जा रही है, क्योंकि गांवों में सुविधाएं नहीं हैं। लेकिन इसी देश में कई ऐसे गांव हैं जहां कोई एक बार पहुंच जाता है तो वहीं बस जाने की सोचता है।

भारत का हर गाँव, पिपलांत्री गाँव की तरह बन सकता है अगर ग्रामवासी आपस में मिल कर अपने गाँव को एक निर्मल ग्राम, स्वजल ग्राम, आदर्श ग्राम और पर्यटक ग्राम बनाने की ठान ले |

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